मेडीकल कॉउंसिल ऑफ़ इंडिया, MCI, को सरकार नेशनल मेडीकल कमीशन से प्रतिस्थापित करना चाहती है। MCI के द्वारा चिकित्सा शिक्षा और मेडीकल कॉलेजों का नियमन होता है। आज देश में चिकित्सको की संख्या , देश की आवश्यकतानुसार नहीं है, विशेषग्यो की कमी है। विश्व में 800 से 1000 जनसँख्या पर एक चिकित्सक है, और भारत में 1800 पर एक। विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी है। MCI पर भ्र्ष्टाचार के आरोप भी लगते रहे हैं। MCI के कार्यकलापों पर नियुक्त एक कमेटी ने MCI को असफल घोषित किया है। इसलिए सरकार MCI के स्थान पर एक नई संस्था NMC लाना चाहती है। इसी से सम्बंधित एक बिल संसद में पेश किया
जा चुका है। कुछ डॉक्टर्स इस NMC बिल का विरोध कर रहे हैं। मेरा कहना है– NMC बिल अवश्य पास करवाएं, यह समाज के हित में हैं।——————————— डॉक्टर्स द्वारा इस बिल का विरोध किया जा रहा है, जो गलत है । मुझे लगता है या तो वे समझ नहीं पा रहे हैं या उनका मकसद उचित नहीं है। एनएमसी बिल के विरोध में उनके गलत तर्क इस प्रकार हैं, जो अनुचित हैं और तर्कसंगत नहीं हैं । —-
(1 ) सरकार पिछले 2-3 वर्षों से NMC के बारे में, एक नई संस्था के निर्माण बावत सभी के मत मांग रही है। तब हम शान्त रहते है , अपने व्यक्तिगत कार्यों में व्यस्त रहते हैं , जब शासन कोई नियम बनाती है, तब विरोध करने लगते हैं । ,—- —–
( 2) MCI को समाप्त करने का निर्णय क्यों लेना पड़ा, इसकी और किसी का ध्यान नही है । भ्र्ष्टाचार,चिकित्सको की संख्या में कमी,कठोर नियम,मेडिकल टीचर की परेशानियों को न समझना, बिना सूचना दिए निरीक्षण को आना, मान्यता के लिए कड़े मानदण्ड,बार बार निरीक्षण इन कारणों की वजह से सरकार को MCI को समाप्त करने के बारे में सोचना पडा (3) MCI ने 2018 में 82 मेडिकल कॉलेजों की मान्यता समाप्त कर दी । 11800 स्टूडेंट का भविष्य अन्धकार में कर दिया । ऐसे कड़े नियमो को बदलने NMC का प्रावधान किया गया ।
(4) MCI संस्था की परेशानी नही समझती ।,आरक्षन के कारण पद खाली बने रहते हैं और skin, psychiatry, TB में देश में ही चिकित्सक नहीं है, अतः फैक्लटी की कमी हमेशा बनी रहती है, तथा् मेडिकल टीचर के अधिकृत अवकाशों को न मानने के कारण (मेडिकल टीचर को परिवार के आवश्यक कारण की वजह से बाहर जाना ही पड़ता है।), ऐसे टीचर को MCI निरीक्षण के समय फैक्लटी में नहीं मानती, और स्टाफ में कमी बताकर मान्यता रद्द कर देती है। कितनी अजीब बात है 40 वर्ष से कोई मेडिकल टीचर किसी मेडिकल कॉलेज में कार्यरत है। MCI अचानक बिना बताए निरीक्षण करने आती है, वहः टीचर उस दिन यदि नहीं है, तो MCI उसे फैक्लटी में नहीं गिनती । स्टाफ की कमी मानकर मान्यता रद्द कर देती है ।
(5) टीचर मुख्यालय पर बन्ध जाते हैं। घर पर माता पिता, पति पत्नी, बच्चे बीमार हों , आप MCI के दवाब के कारण कही जा नही सकते। ऐसे अव्यवहारिक कानूनों से मुक्ति NMC बिल के माध्यम से ही सम्भव हे।
(6) निरीक्षण के दिन 11 बजे के बाद आने वाली फैक्लटी को वहः उपस्थित नहीं मानती । मानलो किसी के दाहसंस्कार में टीचर को जाना पड़ा, या बीमारी के कारण हॉस्पिटल में रहा और 11 बज गए तो उसे MCI निरीक्षण के समय फैक्लटी नहीं मानेगी । इसके अलावा यदि निरीक्षण के दिन opd में मरीजों की संख्या कम है,तब भी MCI मेडीकल कॉलेज को मान्यता नहीं देती। MCI को इससे कोई मतलब नहीं है कि स्थानीय हड़ताल, शहर बन्द, या कोई त्यौहार के कारण opd में मरीज कम हैं ।
NMC बिल के विरोध में आरोप हैं:–
(a) –NMC प्रजातांत्रिक नहीं है
प्रजातांत्रिक देश में, जहां संसद सर्वोपरि है, अप्रजातांत्रिक कुछ भी नही होता । सांसद सही और ईमानदार कार्यों के लिए नियम बनाने में सक्षम है। MCI तो autonomus थी। भ्र्ष्टाचार के आरोप और कार्य दक्षता में कमी के कारण ही तो यह बिल लाया जा रहा है। अतः यह आरोप बेकार है ।
(b) दूसरा आरोप है, आयुष चिकित्सकों की कॉउंसिल के साथ इस बिल में वर्ष में एक बार की मीटिंग की बात की है।——यदि आयुर्वेद,होमेओपेथी गलत है, अप्रभावी हैं तो उन्हें समाप्त होना चाहिए। यदि उपयोगी है तो उन्हें मेडीकल साइंस में मिलाने में हर्ज़ क्या है। पहले होमेओपेथी और आयुर्वेद की उपयोगिता पर बात तो करो। सारे देश में इस पर बहस होना चाहिए। होमेओपेथी और आयुर्वेद और योग पर मेरे शोध पत्र और पुस्तकें प्रकाशित हैं। पर कोई जानना ही नही चाहता । पहले हम सरकार को समझाएँ कि ऐसा करने से क्या लाभ और क्या हानि है।
(c) एक तर्क यह है -आयुष चिकित्सकों और नोंनमेडीकल व्यक्तियों को NMC में रखने का प्रावधान है। — इस बिल में केवल मैनेजमेंट विशेषग्यो और अन्य विशेषग्यो को रखा है जो अत्यंत कम हैं, और आवश्यक है। अधिकतम मेडीकल विशेषज्ञ हैं ।MCI में भी व्यवस्था देखने नॉन मेडीकल व्यक्ति हैं । । आयुष चिकित्सक NMC में नहीं हैं ।
(d) एक आरोप है -आधुनिक चिकित्सा से जुड़े हेल्थ वर्कर को चिकित्सा का अधिकार। —-इसमें क्या परेशानी है। यह अधिकार सीमित चिकित्सा क्षेत्र में दिया जाएगा । गाँवो में 60 से 70 प्रतिशत मरीज ट्रॉपिकल बीमारियों के हैं ,इनमें 3- 4 एंटीबायोटिक पर्याप्त होते हैं ।गाँवो में MBBS जाते नही है। शासन क्या करे। और अभी भी नॉन ऍम बी बी एस ही गाँवों में चिकित्सा संभाल रहे हैं। यह भी आप सब जानते हैं बड़े बड़े नर्सिंग होम, और प्राइवेट अस्पतालों में में नॉन ऍम बी बी एस चिकित्सक ही इंडोर सम्हाल रहे होते हैं ।
(e,) एक विरोध इस बात को लेकर है कि PG में प्रवेश हेतु एक बार ही exam का मौका मिलेगा । ——–अभी इस बारे में कोई नियम नहीं बने हैं ।निश्चित ही ऐसा होगा और होना चाहिए कि” mbbs पास करने के बाद कितनी भी बार आप एग्जाम में बैठ सकें और प्रेक्टिकल के नम्बर इसमें नहीं जुड़ें । प्रेक्टिकल परीक्षा यनिवर्सिटी पहले की तरह लेती रहे। केवल थ्योरी के आधार पर राष्ट्रीय स्तर की मेरिट लिस्ट बने, जिसके अनुसार PG और DNB में प्रवेश मिले “। इस तरह की माँग हम सब मिलकर करें यदि ऐसा नहीं होता तब ?
(f) एक विरोध इस बात को लेकर है क़ि प्राइवेट कॉलेजों में केवल 50 प्रतिशत स्टूडेंट का ही फीस रेगुलेशन होगा ——–। प्राइवेट मेडिकल कॉलेज , कॉलेज चलाने के लिए फंड कहाँ से लाएंगे । सरकारी मेडिकल कॉलेज चलाने में 40 से 50 करोड़ रूपये प्रति वर्ष लगते हैं। इतना पैसा प्राइवेट कॉलेज कहाँ से व्यवस्था करेंगे । प्राइवेट स्कूल, प्राइवेट हॉस्पीटल अच्छे हैं, तो मेडिकल कॉलेज भी अच्छे ही बनेंगे यदि उन्हें 50 प्रतिशत स्टूडेंट से आवश्यकतानुसार फीस लेने दी जाए ।
(g)इस बात का विरोध किया जा रहा है कि फाइनल प्रोफ की परीक्षा को PPG क्यों मानी जाए। ——— स्टूडेंट को यह समझ नहीं आ रहा है कि 22 विषयों को लेकर तै्यारी करना और केवल 4 विषयो को लेकर तैयारी करने में कितना अंतर है? अभी विद्धार्थी इंटर्नशिप में कुछ नहीं सीखते। रात दिन कमरों में बंद होकर PPG की तैयारी करते हैं । 3-4 वर्षो तक यही करते हैं । कितने दवाब में विद्धार्थी रहते हैं । अब इस दवाब से मुक्त हो जाएंगे ।इंटर्नशिप में क्लिनिकल वे बहुत कुछ सीखेंगे। इंटर्नशिप के बाद वे ठीक से प्रेक्टिस करने में सक्षम हो सकेंगे (ह्) यही परीक्षा exit परीक्षा है। यह भी आवश्यक है। इसे पास करने के बाद ही मेडिकल प्रेक्टिस की पात्रता होगी । इस परीक्षा से प्राइवेट कॉलेजो में भी परीक्षा का स्तर बढ़ेगा क्यों कि राष्ट्रीय स्तर की फाइनल प्रोफ की यह परीक्षा पास करनी ही होगी ।
(i) एक विरोध इस बात को लेकर है, कि NMC को सरकार के निर्देशों को मानना ही होगा । ————-इसमें भी क्या बुराई है । पूरी तरह से अनियंत्रित संस्थाएं किसी के भी प्रति जिम्मेदार नही होती। autonomy के नाम पर ये संस्थाएं अनियंत्रित, दूसरों को तकलीफ देने वाली और न सुनने वाली हो जाती हैं, क्यों कि ये किसी के प्रति भी जिम्मेदार नहीं होतीं । सरकारें जनता के प्रति तो जवाबदेह होती हैं । उन्हें चुनाव में हारने का डर तो होता है ।
(j) NMC का सेक्रेट्री ब्यूरोक्रेट होगा, ऐसा कहकर डराया जा रहा है। यह गलत रूप से प्रचारित किया जा रहा है। NMC संस्था के जो निर्णय होंगे वे उस सेक्रेट्री के माध्यम से संचालित किए जाएंगे । NMC के 4 बोर्ड हैं, उनके निर्णय का क्रियानवीकरन के लिए सचिवालय की तरह का एक संस्थान होगा । यह कहना गलत है कि सेक्रेट्री के अंडर में NMC कार्य करेगा। सच यह है कि एनएमसी के अंडर में सेक्रेट्री कार्य करेगा ।
(k) एक विरोध इस बात को लेकर है कि कोई भी विदेशी नागरिक exit परीक्षा देकर भारत में प्रेक्टिस कर सकेगा। ऐसा कहना गलत है, । यह परीक्षा उन भारतीय नागरिकों के लिए है, जिनके पास विदेश की मेडीकल डिग्री है
(l) एक बात से मैं भी सहमत नहीं था, कि आयुर्वेद, होम्योपैथिक , और आधुनिक चिकित्सा के विशेषज्ञ कॉमन पाठ्यक्रम बनाएंगे, जिसे सब पैथी के चिकित्सक आपस में मिलकर चिकित्सा का मिला जुला तरीका अपनाएँ । लेकिन सोचने पर पाया कि यह भी बहुत अच्छा प्रावधान है। अभी तक सब अलग अलग कमरों में बंद अपनी चिकित्सा पद्धति को महान समझते हैं, पर जब आपस में बैठकर एक दूसरे के सिद्धांतों को समझेंगे, तब सच सामने आ जाएगा। जैसे कि होम्योपैथी वाले विशेषज्ञ कहेंगे कि बैक्टीरिया,और दूसरे माइक्रो-ऑर्गेनिस्म से कोई बीमारी नही होती, दवा को पतला करने से उसकी ताकत बढ़ती जाती है, आधुनिक चिकित्सा वाले कहेंगे , बेक्टीरिया से बीमारी होती है। दवा को पतला करने से ताकत कम हो जाती है। फिर यह भी हो सकता है कि सच जानने होम्योपैथी के चिकित्सक अपने शरीर में HIV वायरस प्रवेश कराएं।ओर देखें उन्हें AIDS हुई या नहीं ।सच सामने आ जायेगा। जो पेथी सही होगी वहः जिंदा रहेगी जो गलत है, वहः समाप्त हो जायेगी।हो सकता है, आधुनिक चिकित्सा विज्ञान गलत सिध्ध हो जाये , फिर NMC की जरूरत ही नही पड़ेगी । अतः NMC बिल आना बहुत जरूरी है, इसका विरोध न करें ।
(m) यह भी गलत प्रचारित किया जा रहा है कि यह स्टूडेंट विरोधी है । इससे ज्यादा लाभकारी स्टूडेंट के लिए कुछ दूसरा नही हो सकता । PPG के दवाब से मुक्ति और फ़ाइनल प्रोफ की परीक्षा को ही PG में प्रवेश के लिए मानना यह स्टूडेंट के लिये वरदान है।
(n ) यह भी कहाजा रहा है , यह आम जनता के विरोध में है । यह गलत है। NMC बिल के पास होने पर सामान्य चिकित्सक और विशेषज्ञ चिकित्सको की संख्या बढ़ेगी । इससे चिकित्सा सेवाएं सस्ती होंगी । गांव गांव में चिकित्सक पहुंचेंगे ।
(o) NMC बिल से एक लाभ और है, MCI के बार बार निरीक्षण से मुक्ति मिल जायेगी । नये कॉलेज खोलने पर एक बार निरीक्षण होगा । हर साल निरीक्षण की आवश्यकता नहीं है। PG भी संस्थाएं आरम्भ कर सकती हैं । NMC को सूचित करना पर्याप्त है।
(p ) अतः मेरा सभी से अनुरोध है, आग्रह है, सच समझें, किसी के कहने में न आएं , स्वयं निर्णय लें और NMC बिल का समर्थन करें । यह बिल समाज के लिए उपयोगी है। इसके लागू होने पर देश में, पर्याप्त मात्रा में चिकित्सक उपलब्ध हो सकेंगे । स्टूडेंट के लिए भी यह वरदान है । अतः NMC बिल का विरोध न करें । सरकार का साथ दें ।
*प्रोफेसर एवं एचओडी फार्मेकोलोजी डॉ डी .के .जैन जीआरएमसी ग्वालियर*