मरीज देखते समय एक डॉक्टर का तनाव उसी मरीज से उत्पन्न हास्यास्पद स्थिति से ज्यादातर दूर हो जाता है, लेकिन कभी कभी इसका उल्टा भी।
1 ज्यादातर मरीज आते ही पहली शर्त दाग देते हैं कि डॉक्टर साहब गर्म दवा न लिखियो, गर्म व स्ट्रांग दवा नुस्कान करति आ
शहर के मरीज भी ऐसा ही कहते है,
जबकि दवा में, न तो कुछ गर्म होता है, ना ठंडा, न ही स्ट्रांग लेकिन आज तक ये बात समझा नही पाए।😀
2 नमक खाने पर मना करने पर तेजी से बोलता है- नमक तो हम कभी खयते ही नही?
डॉ-तो क्या दालमोठ, पापड़, बिस्कुट, सब्जी, दाल, कुछ नही खाते?
उ तो खयते है,वो बात अलग है लेकिन नमक कबहु खयते ही नही😀
3 डॉ-मिर्च मना है,
लेकिन डॉ साहब, मिर्चा तो खयते नही
डॉ-क्यो सब्जी में लाल मिर्च नही डालते?
तो सब्जी पूछओ न,
तुम पूछ्यो मिरच, तो ऊ तो नही चबात 😀
4- डॉ मिर्च मना है,4-6 महीने समझे?
छह महीने बाद- डॉक्टर साहब, अब सब्जी खाये सकत?
अरे सब्जी कब मना किया था?
लियो,तुमहीन बोल्यो की मिरिच न खाई, तो सब्जी कैसे बनी?
अरे तो सब्जी मा मिरिच न डाला करो
तो सब्जी बनी कैसे? अजीब बाति या😀
5- डॉ साहब’ बबासीर है, खून आता है?
लेटो, दिखाओ-
26 साल में आज तक हर मरीज मेरी तरफ ‘मुह करके’ लेटा, काउच पर
बहुत ही ताज़्ज़ुब की बात है एक भी मरीज आज तक दूसरी तरफ मुह करके नही लेटा 😀
आज तक इसकी वजह समझ मे नही आई ☺️
हंसिये
——डॉ आर के वर्मा (देव)–