15 वर्षों की नौकरी के अनुभव के आधार पर बताना चाहूँगा कि भारी कमी के बावजूद चिकित्सकों का कहाँ कहाँ दुरुपयोग किया जाता है – 1. सबसे ज्यादा दुरुपयोग VIP ड्यूटीज में, जब किसी एक VIP के लिए कई-कई चिकित्सकों को, अस्पतालों से हटा कर एम्बुलेंस में ठूँस कर घंटों के लिए बैठा दिया जाता है।
2. जब सुपरविजन/ मॉनिटरिंग के नाम पर गाँव-गाँव और दरवाजे-दरवाजे घुमाया जाता है। जो कोई भी एजेंसी फेईल्ड मॉनीटर्स से आसानी से करा सकती है।
3. जब स्क्रीनिंग के लिए उन्हें हाथ में थर्मामीटर थमा कर बस अड्डों और स्टेशनों पर खड़ा कर दिया जाता है। जो काम ऑफिस, मॉल्स और दुकानों पर सेकुरिटी गार्ड करते हैं।
4. जब उनसे घर घर दवाइयां बंटवाई जाती हैं। जो दवाइयाँ मरीज़ के घर वाले नज़दीकी अस्पताल से आसानी से कलेक्ट कर सकते हैं।
5. जब राष्ट्रीय कार्यक्रमों का प्रतिरोध होने पर वह गाँव गाँव घूम कर प्रतिरोध दूर कराने का प्रयास करता है। जोकि प्रशानिक और पुलिस अधिकारी आसानी से दूर करा सकते हैं।
6. मेडिकोलीगल और पोस्टमार्टम एविडेंस के लिए उन्हें घंटों कोर्ट में बैठा कर रखा जाता है। जोकि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अस्पताल से भी हो सकती है।
7. जब आए दिन उन्हें मीटिंगों के नाम पर हेडक्वार्टर के चक्कर कटाये जाते हैं।
8. जब भगौड़े चिकित्सकों के विरुद्ध कोई कठोर कार्यवाही नहीं की जाती। वैसे भी जो चिकित्सक प्रशासनिक पदों पर हैं, अधिकांश 55 वर्ष से ज्यादा आयु के हैं, उन्हें पहले ही कोविड ड्यूटीज से मुक्त रखा गया है।
….तो साहब डॉक्टर्स की कमीं की आड़ लेकर जो गेम खेला जा रहा है, उसे पूरा कैडर भली भांति समझ रहा है।