एलोपैथिक की पुस्तकों देवनागरी में

एलोपैथिक की प्रथम वर्ष की पुस्तकों का देवनागरी में लिखे जाने के पक्ष विपक्ष में अनेकों तर्क दिए जा रहे हैं.

किन्तु मुझे लगता हैं की अधिकतर तर्क किसी पक्ष विशेष की तरफ झुके हुवे हैं.
मातृ भाषा को बढ़ावा देना अच्छी बात है और अंग्रेजी चिकित्सा साहित्य का हिन्दी में अनुवाद प्रत्येक शब्द में निहित भावार्थ को सरलतम रूप में देवनागरी में लिखना ही होना चाहिए न कि संपूर्ण अंग्रेजी चिकित्सा पुस्तकों/साहित्य को ज्यों का त्यों हिन्दी/देवनागरी में छाप देना.

साइंस और एलोपैथिक(allopathic) चिकित्सा में प्रयुक्त होने वाले लैटिन या ग्रीक तकनीकी शब्दों (terms) को देवनागरी में लिख देने भर से मातृ भाषा हिन्दी का, चिकित्सको का या राष्ट्र का कुछ भला नहीं होगा. सही अनुवाद के लिए बहुत मेहनत की आवश्यकता है .

कल की एक पोस्ट में मैंने देखा कि anatomy की एक किताब के हिन्दी अनुवाद में pudendal nerve का अनुवाद हिन्दी देवनागरी में पुडेन्डल नर्व लिखा था.
पुडेन्डल(pudendal) एक अंग्रेजी का शब्द है जिसे pudendum से लिया गया है जिसका लगभग सभी युरोपियन भाषाओ में अर्थ बाहरी जननान्गो से संबंधित है. मतलब allopathic के एमबीबीएस के यूरोपीयन चिकित्सक छात्र Pudendal शब्द को पढ़ने मात्र से समझ जाएंगे की य़ह nerve बाह्य जननांग से सम्बन्धित है. किन्तु भारत वर्ष के आधुनिक विशेषज्ञों द्वारा PUDENDAL NERVE का हिन्दी अनुवाद भी Pudendal कर दिया गया है जिसका हिन्दी भाषियों को कोई भावार्थ नहीं पता.
मैं भी हिंदी माध्यम के स्कूल से पढ़ा हूँ किन्तु एमबीबीएस की तैयारी करते हुवे सभी पढ़ाई इंग्लिश में की. और पूरा एमबीबीएस english में लिखी पुस्तकों को पढ़कर किया है.
आज तक भी विदेशी जर्नल में चिकित्सा सम्बन्धित शोध पत्र जो सभी इंग्लिश में होते हैं, और सभी CME आदि भी इंग्लिश भाषा मे ही पढते है. हिन्दी भाषा मे एमबीबीएस पूर्व की पढ़ाई किए जाने के बाद भी कभी कोई कठिनाई नहीं हुईं.
एमबीबीएस की हिंदी में पढ़ाई हो उसका एक तर्क य़ह दिया जा रहा है कि इससे हिन्दी भाषियों को सोचने समझने में ज्यादा आसानी हो जाएगी किन्तु ऐसा हिन्दी मे अनुवादित तकनीकी शब्दो को जैसे का तैसा देवनागिरी भर में लिख देने से न होगा.
उदाहरणार्थ anatomy में किसी muscle ke साथ brevis या longus लिख देते हैं. जैसे palmaris brevis musle. Palmaris को इंग्लिश भाषी तुरंत समझ लेगा की palm/हथेली से सम्बन्धित है. Brevis मतलब short या छोटी musle/मांसपेशी है . इसी भाँति Palmaris longus ka हिन्दी मे मतलब हथेली से सम्बन्धित बड़ी मांसपेशी.
अब palmeris brevis या longus हिन्दी अनुवादित पुस्तकों यदि पामेरिस ब्रेविस या पामेरिस लोन्गस ही किया गया है तो इससे हिंदी भाषियों को भला क्या अतिरिक्त मदद मिलेगी ??
ब्रेविस का अगर हिन्दी अनुवाद लघु कर दिया जाए और Pamaris brevis muscle का नाम/अनुवाद हथेली की लघु मांसपेशी कर दिया जाए तो कुछ लाभ हिन्दी भाषियों को मिल सकता है.
किन्तु फिर एक और बड़ी समस्या पैदा हो जाएगी. पूरे विश्व में (कुछ देशों को छोड़कर जहां स्थानीय भाषाओं में जर्नल के स्थानीय भाषा में अनुवाद उपलब्ध कराए जाते है) मेडिकल जर्नल और CME अंग्रेजी भाषा मे छपते/ होती है. जिनको ये हिंदी भाषी नहीं समझ पायेंगे. और हमारा टैलेंट हिन्दुस्तान में ही लिमिटेड रह जाएगा. मतलब आजादी के इतने वर्ष बाद जब हिन्दुस्तान के allopathic चिकित्सकों का नाम विश्व के चिकित्सा जगत मे आदर पुर्वक लिया जाता है और दुनिया भर से मरीज यहाँ इलाज कराने आते है तो इस तरह की हिन्दी अनुवादित पुस्तकों को पढ़ कर ऐसे हिंदी भाषी दिक्षित चिकित्सक कूप मन्डूक भर बन कर रह जाएगें .
इस से अच्छा तो य़ह रहेगा की अपनी स्वदेशी आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली को बढ़ावा दिया जाए और उसका इतना विकास किया जाए कि वो allopathy को पछाड़कर विश्व के चिकित्सा पटल पर छा जाए.
इस विषय मे मैं कई वर्षो से प्रयास रत हूँ कि हमारे शास्त्रों में वर्णित संजीवनी विद्या जो मरणोपरांत व्यक्तियों का पूर्णतया हूबहू जीवित पुर्ननिर्माण कर दे उसे हासिल किया जाए. जो पूर्णतया सम्भव है और जिसे हासिल कर हमारी आयुर्वेद पुनः विश्व पटल पर छा सकती है. और हम विश्व गुरु और पहले नंबर की अर्थव्यवस्था बन सकते हैं.
डॉ अनिल कुमार जैन
9911754632

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