भूतपूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई जी (जो भगवान राम मंदिर केस की सुनवाई के समय चीफ जस्टिस थे) ने रिटायरमेंट के बाद अपनी एक किताब लिखी जिसका नाम है जस्टिस फॉर जज। इस किताब में उन्होंने राम मंदिर की सुनवाई के समय बनी अलग अलग परिस्थितियों का जिक्र किया है जिसमें से एक परिस्थिति बहुत 👇
ही महत्वपूर्ण है..
उन्होंने लिखा है कि सुनवाई के शुरू के दिनों में उन्हें लग रहा था कि कोर्ट रूम में जिस तरह की परिस्थितियां बन रही थी उनके कारण इस केस की सुनवाई बहुत मुश्किल लग रही थी लेकिन फिर उन्हें एहसास हुआ कि कोई दैवीय शक्ति उनके साथ है।
उन्होंने लिखा है कि यह पहली बार
हुआ था कि लगातार 40 दिन की सुनवाई में किसी जज ने छुट्टी नहीं ली, किसी की तबीयत खराब नहीं हुई और किसी को खांसी जुकाम तक भी नहीं हुआ।
एक दिन इस केस की सुनवाई कर रही बेंच के एक जज ने यह कहते हुए छुट्टी मांगी की उनका कोई रिश्तेदार बहुत ज्यादा बीमार है और आईसीयू में है तो मैंने उनसे
कहा कि चिंता ना करो भगवान सब ठीक करेगें।
उन्होंने आगे लिखा है कि बाद में मैं उस जज साहब से उनके रिश्तेदार की तबीयत के बारे में पूछना भूल गया लेकिन मुझे पूरी उम्मीद थी कि वह ठीक हो जाएंगे। वे ठीक हुए भी क्योंकि मेरे साथी जज ने दोबारा छुट्टी नहीं ली।
उन्होंने लिखा है कि इस केस मे
पूरी बेंच के ऊपर बहुत दबाव था क्योंकि तरह-तरह की दलीलें दी जा रही थी। इस केस की सुनवाई मेरे कार्यकाल में पूरी ना हो इसके लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे थे लेकिन मुझे बार-बार यह एहसास हो रहा था कि कोई दैवीय शक्ति हमारे साथ है।
जय श्री राम