प्रधान मंत्री मोदीजी ने विगत दिन ब्रिटेन में एक उद्बबोधन में ब्राण्ड दवाओं और भारतीय चिकित्सकों पर की गई टिप्पणी पर नीमच के शल्यचिकित्सक डॉक्टर आशीष जोशी की सटीक टिप्पणी ..👇
अवलोकन करे
हां , कुछ ऐसा ही हो रहा है भारत के चिकित्सकों की तरफ से । सवर्णों की तरफ से तो आज़ादी से चल ही रही है कहानी : तुम हमें दुत्कार दो , हम तुम्हें वोट देंगे !
अब चिकित्सक भी यही कह रहे हैं माननीय रूष्ट , हमसे रूठे पिया जी उर्फ प्र. मं. जी से ! दुत्कारो हमें , कमीशनखोर कहो , चाहे ऐलोपैथी को गाली दो , ब्रिज कोर्स बनाओ या एन.एम.सी लागू करो – ये इक तरफा मुहब्बत का जज़्बा भी ग़ज़ब ढ़ाता है जी । मुहब्बत जो ठहरी ना !
आदत भी है हमें । विद्रोह या आंदोलन करें तो कोर्ट खड़ा हो जाता है एस्मा की चाबुक लेकर । सरकारी डाक्टर तो आदी हो ही चुके हैं बिना ना करने के अधिकार के , नाना प्रकार के काम करने को और हर बार अधिकारियों द्वारा सस्पेंड होने को या आम जनता से पिटने को । लुटेरे , ठग , गिरोह , वसूली , राक्षस … सारी उपाधियों से सज्जित ( या लज्जित ?) ये समूह फिर भी शान से अपनी इक-तरफा प्रेम-कहानी पर इतराता फिरता है । देश का तो भला हो रहा है ना ! आने वाली पीढ़ियां तो साफ-सुथरे सिस्टम में काम करेंगी ना ! इतना ही बहुत है । अपनी तो जैसे तैसे , थोड़ी ऐसे या वैसे कट जाएगी …
बहुत सब्र है इस तबके में । हम कोई सड़क पर बसें नहीं जलाने वाले , कभी भारत बंद नहीं कराने वाले … भारत बंद के दिन अस्पताल और दवा दुकानों को खास छोड़ देते हैं बल्कि ताकि दुकान बंद , आफिस बंद , ए.टी.एम बंद होने पर कुछ ‘पुरानी पेंडिंग मेडीकल समस्या’ ही निपट लें । दंगल होगा सड़क पर तो इलाज तो कराना पड़ेगा ना ! खुले रहने दो अस्पताल … भारत बंद, हड़ताल रूपी काम-रोको आंदोलन , असहयोग आंदोलन , सिर्फ भारत के नागरिकों का कर्तव्य और अधिकार है … ये नागरिक थोड़े ही हैं !! ये तो ड़ाक्टर हैं !
निरोग रहना हर इंसान का कर्तव्य है , अपने प्रति , परिवार के प्रति , समाज के प्रति , देश के प्रति । ठेले पर चाट खाकर बीमार होकर , नशे में या तीन-चार सवारी मोटर-साइकल पर बिना हेलमेट के , बिना सीट-बेल्ट के वाहन चला कर देश का भला नहीं होगा पर ऐसे में खुद की जान के साथ डाक्टरों की जान को खतरे में डालकर देश का भला ज़रूर होगा ।
आदरणीय प्रधान जी ! आप आज ही सारी फार्मा कंपनियों की ब्रांडेड दवाइयाँ बंद करवा दीजिए , सिर्फ जेनेरिक दवाइयाँ बनाने के लिये आर्डीनेंस लेकर आइये । देश का भला होगा । किसने रोका है आपको , ये बताइये तो ? दवा की दुकान का लाइसेंस दो आप , दवा कंपनी को लाइसेंस दो आप , दवा की कीमत निर्धारित करो तो आप , उस पर टैक्स लगाओ आप … और हमें कहते हो कि हम लिखते हैं कमीशन के लिये ? ये कौन सी कुतर्क भरी आइ.सी.बी.एम इंगलैंड से हम निरीह प्राणियों पर दाग दी आपने ? ये तो भारत के वैज्ञानिकों ने नहीं बनाई सर ! यै कौन सीरिया या अमेरिका से लाये हो आप सर्वश्री ! एक ही वार में आपने तो बरसों की ताप-तपस्या को पलीता लगा दिया सारे के सारे चिकित्सकों की ! क्या किया आपने … लज्जित हैं हम इस तिरस्कार से ।
हम कोई चंद्रबाबू नहीं जो गांठ खोलकर , मुंह में कावेरी जल डाल कर तंबू में बैठ जायेंगे । काम करेंगे , रोज़ की तरह , ऐसे गरल-घूंट पीना सीख गये हैं हम । ये हमारी ट्रेनिंग का हिस्सा जो ठहरा ।
तो क्या हम सड़कों पर उतर के आंदोलन करें इस एक सूत्रीय मांग को लेकर ? भारत बंद का आव्हान करें कि देश में ब्रांडेड दवाइयां बाजार से हटवाइये , सिर्फ उच्च क्वालिटी की जेनेरिक दवाई ही मिले हर जगह , तब तक हम काम नहीं करेंगे ! अभी भी विनम्र निवेदन कर रहे हैं …
अभी तो ये अंगडाई है , आगे और लडाई है … ये सब मां के पेट से सीख कर नहीं आते हम जैसे लोग ।
लेखक :-
– दुत्कार में सबसे अगाड़ी और आप सभी के महाअभियोगीय निशाने पर सदैव रहने वाला भारत का दुर्भाग्य हूं मैं : कहने को एक डिग्रीधारी ऐलोपेथिक चिकित्सक ।
– डा. आशीष जोशी
२१ अप्रेल २०१८










