पेसमेकरघोटाले

ढाई साल की मेहनत के बाद मेरे लिखे आर्टिकलो को मिला न्याय

सैफ़ई विश्वविद्यालय का पेसमेकर घोटालेबाज असिस्टेंट प्रोफेसर समीर सर्राफ पहुँचा जेल

सैकड़ो गरीब मरीजो को मौत के मुँह में धकेलने वाला क्रूर कार्डियोलॉजी डॉक्टर समीर सर्राफ गिरफ्तार।।

एक कहावत है कि ऊपर वाले के यहाँ देर है अंधेर नही,उसकी लाठी में आवाज नही होती यह बात सत्य है कि वर्षों से सैफई विश्वविद्यालय में गरीब मरीजो के पेसमेकर डलवाने के नाम से उनकी जान से खिलवाड़ चलता रहा और विश्वविद्यालय के शासक धृतराष्ट्र बनकर पूरे खेल का तमाशा देखते रहे,आज उस क्रूर डॉक्टर के काले कारनामों का अंत होकर उसकी असली जगह जेल मुक़र्रर कर दी गयी,एमआरआई पेसमेकर बताकर मरीजो को नॉन एमआरआई पेसमेकर डालकर मरीजो से लाखों रुपए बसूलने वाला डॉक्टर आज सैफई पुलिस और लखनऊ की एन्टी करप्शन पुलिस के हाथों गिरफ्तार हो गया,जिसको लखनऊ के एन्टी करप्शन न्यायालय में पेश किया जायेगा।

पेसमेकर कम्पनी ने वीसी को सबूतों के साथ चेताया

एसए हेल्थटेक कम्पनी लखनऊ ने 17 मार्च 2020 को कुलपति डॉक्टर राजकुमार को लिखित शिकायती पत्र में कहा कि एमआरआई पेसमेकर घोटाला आपके विश्वविद्यालय में आपकी नाक के नीचे हो रहा है रिपोर्ट में सुदामा लाल और गुड्डी देवी का जिक्र है और लिखा है कि डॉक्टर सर्राफ ने मरीजो को गलत तरीके से बताया कि यह एमआरआई संगत है जो सही नही है इन मरीजो के एमआरआई से गुजरने पर मौत रिस्की हो जाती है,आगे रिपोर्ट में लिखा है कि मैने डॉक्टर सर्राफ से अनुरोध किया कि वह इस तरह से मरीजो को धोखा ना दे और सच्चाई बताये लेकिन उन्होंने मुझे धमकाना और ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया और आगे से मुझे एमआरआई पेसमेकर कीमत पर अधिक नॉन एमआरआई लाने को कहा लेकिन मेने भ्रष्टाचार के कारण पेसमेकर की आपूर्ति बंद कर दी मरीज के जीवन को बचाने के लिये उनको गलत तरीक़े से वित्तीय लाभ लेने के लिये बताया कि एमआरआई संगत पेसमेकर है।इस शिकायती पत्र के साथ ऑडियो रिकॉर्डिंग और सीडी भी संलग्न के साथ वीसी के साथ साथ प्रो वीसी रमाकान्त यादव और को भी दी गयी। लेकिन इन सबके वाबजूद भीइ डॉक्टर समीर सर्राफ के ऊपर कोई कार्यवाही नही,कार्यवाही हुई भी वह एक साल बाद जब तत्कालीन चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर आदेश कुमार ने 24 दिसम्बर 2021 को सैफ़ई थाने में एफआईआर के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया।

2018 से पेसमेकर के खेल में आई बढ़ोतरी

12 -11-2020 की 5 सदस्यी जाँच रिपोर्ट के खुलासे से साफ स्पष्ट है कि डॉक्टर सर्राफ मदारी का खेल नही बल्कि नोटो का खेल मुलायम के सपने के महल की दीवारो के पीछे खेल रहा था,मरीज सुदामा लाल IP-18-30705 ने 21 मई 2018 पेसमेकर प्रत्यारोपित करवाया जिसके एसपीजीआई आरसी रेट 96 हजार 844 रुपये था डॉक्टर समीर सर्राफ ने 01 लाख 85 हजार रुपये बसूले, गुड्डी देवी IP-18-31076 ने 23 मई 2018 को इम्प्लांट करवाया 93 हजार 484 रुपये की जगह 01 लाख 85 हजार,जबर सिंह IP-19-4808 ने 25 जनवरी 2019 को इम्प्लांट करवाया 01 लाख 21 हजार 349 की जगह 01 लाख 84 हजार बसूला,कालीचरण IP-19-6196 ने 31 जनवरी 2019 को इम्प्लांट करवाया 60 हजार 226 की जगह 01 लाख 05 हजार बसूला,धर्मपाल IP-19-64194 ने 20 नवम्बर 2019 को 38 हजार 900 रुपये की जगह 01 लाख 05 हजार बसूला इन सभी मरीजो को नॉन एमआरआई पेसमेकर लगाया गया इसके अतिरिक्त सरवर अली से 01 लाख 05 हजार बसूला जबकि एसपीजीआई आरसी रेट 62 हजार था ऐसे अभी ना जाने कितने मरीज है जो इस दिल के दरिंदे डॉक्टर के हाथो लूटने को मजबूर होते रहे।।इनमें से कई मरीज मौत के मुँह में इस दुनियाँ से विदा हो गये।

एमएस के कुलसचिव को दो दो गोपनीय पत्र लिखने के बाद भी नही जागा प्रशासन

सूत्र बताते है कि पिछले ढाई साल में 80-100 मरीज मौत के मुँह में समा चुके है और उससे कही ज्यादा मरीजो की जान खतरे में है, वह इसलिये कि विश्वविद्यालय के तत्कालीन चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर आदेश कुमार ने अपने पत्र 1238 दिनांक 02 मार्च 2021 और पत्र संख्या 1285 दिनांक 11 मार्च 2021 कुलसचिव को लिखे गये जिसमे कहा गया कि आपके संज्ञान में लाना है कि कार्डियोलॉजी बिभाग की एक सदस्यी और 05 सदस्यी जाँच हो चुकी है जिसमे प्रथमदृष्टया यह साबित हुआ कि डॉक्टर समीर सर्राफ द्वारा मरीजो को एमआरआई पेसमेकर बताकर नॉन पेसमेकर लगाया गया जिससे उन मरीजो की जान को खतरा बना हुआ है के साथ ही दो बिंदुओं पर दिशा निर्देश देने हेतु कहा गया कि गत वर्षों में समीर सर्राफ द्वारा लगाया गया उनकी सूची तैयार कर उनकी जाँच करवा ली जाये अथवा काउंसलिंग दी जाये जिससे उन मरीजो की जान को भविष्य में खतरा ना हो।वर्षों से मरीजो की जान के साथ खिलवाड़ होता रहा लेकिन 3 साल से मरीज लूटते रहे पिस्ते रहे लेकिन किसी भी अधिकारी को इतनी फुर्सत ना थी कि पहले से जाग जाते।।

डॉक्टर समीर अकेले बलि के बकरे नही अभी और बड़े बकरे भी है शामिल

भले ही आज डॉक्टर समीर सर्राफ गिरफ्तार हो गये हो लेकिन अभी गिरोह के बहोत से अधिकारी है जो समीर सर्राफ के काले कारनामों में उसका साथ देते थे,अभी कई और मगरमच्छ शिकंजे में आने को तैयार रहे जिन्होंने समीर सर्राफ के साथ लाखो और करोड़ो में हिस्सेदारी ली, आज उन गरीब मृत मरीजो के परिवारों को जरूर शांति मिलेगी जिनकी जाने इस हैवान डॉक्टर के हाथों चली गयी उन सैकड़ो आत्माओं की रूह को भी शांति मिलेगी जो इस हैवानियत डॉक्टर के हाथों अपनी जान देकर दुनियाँ से अलविदा हो गये।।

22 दिसम्बर 2022 को सैफ़ई थाने में हुई थी एफआईआर दर्ज

डॉक्टर समीर सर्राफ को बचाने के लिये पूरा सैफई विश्वविद्यालय प्रशासन लगा रहा यहाँ तक कि कार्यपरिषद की दसवीं बैठक 29 जुलाई 2022 के एजेंडा बिंदु (10-7) के अंतर्गत मरीजो के हितों को ध्यान में रखते हुये डॉक्टर समीर सर्राफ के 23 मार्च 2021 के निलंबन आदेश को रद्द कर दिया और कुलपति डॉक्टर प्रभात कुमार के आदेश पर तत्कालीन कुलसचिव सुरेश चंद्र शर्मा ने 11 अगस्त 2022 को कार्डियोलॉजी के असिस्टेंट प्रोफेसर समीर सर्राफ को बहाल कर दिया,24 दिसंबर 2021 को तत्कालीन चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर आदेश कुमार ने डॉक्टर समीर सर्राफ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने हेतु सैफई थाने में प्रार्थना पत्र दिया जिससे नाराज होकर तत्कालीन कुलपति डॉक्टर रमाकांत यादव ने उनको एमएस पद से हटा दिया गया था,27 फरवरी 2022 को सैफई थाने में डॉक्टर समीर सर्राफ के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया गया।जिसकी जाँच करने में सीओ सैफ़ई नागेंद्र चौबे जी जान से जुटे रहे।।

24 सितंबर की डॉक्टर आई के शर्मा की जाँच रिपोर्ट में खुलासा

पीडियाट्रिक विभाग प्रोफेसर डॉक्टर आई के शर्मा द्वारा 24 सितंबर 2022 को की गई जाँच रिपोर्ट में कई खुलासे किये थे जिसमें निष्कर्ष के तौर पर लिखा कि”असिस्टेंट प्रोफेसर कार्डियोलॉजी डॉक्टर समीर सर्राफ द्वारा असत्य कथन तथ्यों को छुपाकर स्वेच्छाकारिता से धोखाधड़ी कर व्यक्तिगत आर्थिक लाभ हेतु अनावश्यक ऑर्बिटरी परचेज किया गया जो कि निश्चित तौर पर आर्थिक अपराध है,अतः दोषी है,डॉक्टर समीर सर्राफ ने गिरोह बनाकर व्यक्तिगत लाभ हेतु उनके द्वारा प्रत्यारोपित पेसमेकर के मरीजो में धोखाधड़ी कर मरीजो के प्रति अपने कर्तव्यों एवं उत्तरदायित्यों का निर्वहन ना करके आर्थिक अपराध किया है डॉक्टर समीर सर्राफ ने एक चिकित्सक होने के वाबजूद मेडिकल एथिक्स दरकनार कर मानव जीवन के साथ खिलवाड़ करने का अनैतिक व अवैध कृत्य करके मरीजो की जान को खतरे में डाला अतः दोषी है”यह रिपोर्ट भी डॉक्टर समीर के लिये गले की फांस बनी।।

आर्टिकल:-अरशद जमाल संवाददाता एनडीटीवी इंडिया

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