india first mbbs college was opened 112 years before independence by britishers –

आजादी से 112 साल पहले खुला था पहला MBBS कॉलेज, 14 साल के बच्चों को सर्जन बना रहे थे अंग्रेज!
First MBBS college in Indian: ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत की आजादी से करीब 112 साल पहले भारत के मेडिकल एजुकेशन सिस्टम को बदलकर रख दिया था। भारत में हजारों साल पुरानी आयुर्वेद, सिद्ध और युनानी जैसी चिकित्सा पद्धतियों के बाद एलोपैथी को लाया गया था।
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Authored By: अमन कुमार
Updated: 14 Aug 2025, 5:34 pm|नवभारतटाइम्स.कॉम
First MBBS college in Indian before Independence: भारत इस साल अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। करीब 200 साल बाद इसी दिन भारत को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी। लेकिन क्या आप जानते हैं ब्रिटिश राज में ही भारत में पहला MBBS कॉलेज खुला था।

साल 1935 में मेडिकल कॉलेज स्टाफ की एक तस्वीर (फोटो सोर्स- medicalcollegekolkata.in)

हजारों साल पुराना है भारत में चिकित्सा का इतिहास
भारत में चिकित्सा का इतिहास हजारों साल पुराना है। आयुर्वेद, दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धतियों में से एक है। करीब 3000 साल पुराने ऋग्वेद और अथर्ववेद में भारत की चिकित्सा शिक्षा यानी आयुर्वेद का उल्लेख मिलता है।

सैकड़ों साल पुराने चरक संहिता और सुश्रुत संहिता, आयुर्वेद के प्रमुख ग्रंथ हैं जिनमें मेडिसिन और सर्जरी के बारे में विस्तार से लिखा हुआ है। लेकिन 112 साल पहले अंग्रेजों ने अपने फायदे के लिए भारत का एजुकेशन सिस्टम बदलकर रख दिया और भारत में पहला MBBS कॉलेज खुला।

भारत में एलोपैथी क्यों लाए थे अंग्रेज?
आयुर्वेद के अलावा सिद्ध और युनानी जैसी चिकित्सा पद्धतियां भारत के मेडिकल सिस्टम का हिस्सा रही हैं। 19वीं सदी में अंग्रेज अपने फायदे के लिए एलोपैथी लेकर आए। 1822 में ब्रिटिश सर्जन्स के मेडिकल बोर्ड ने भारत के तत्कालीन सचिव को एक लेटर लिखा। लेटर में मेडिसिन एजुकेशन की मांग की गई थी। इसमें ब्रिटिशर्स का अपना फायदा था, क्योंकि वे भारत की आयुर्वेद और यूनानी पद्धति पर भरोसा नहीं करना चाहते थे।

इसकी दूसरी वजह भी थी, 18वीं शताब्दी में लड़ी जा रहीं कई लड़ाइयों की वजह से ईस्ट इंडिया कंपनी के सर्जन सेना का इलाज करते थे। उस वक्त कई भारतीय भी ब्रिटिश आर्मी का हिस्सा थे और ब्रिटिश सर्जन उनका इलाज करते थे। लेकिन जाति आधारित प्रतिबंधों और यूरोपीय लोगों की बनाई दवाओं के विरोध के चलते बहुत से भारतीय सैनिकों का इलाज नहीं होता था।

तब ईस्ट इंडिया कंपनी ने दवाएं तैयार करने से लेकर इलाज करने तक के लिए भारतीय रेजिमेंट्स में भारतीय डॉक्टर्स को नियुक्त करने का सोचा और भारत में एमबीबीएस मेडिकल कॉलेज खोलने की तैयारी शुरू हुई।

भारत में पहला MBBS मेडिकल कॉलेज कब खुला?
28 जनवरी 1835, यह वह तारीख थी जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में पहला एमबीबीएस मेडिकल कॉलेज खोला। कोलकाता में ‘मेडिकल कॉलेज, कोलकाता’ की नींव रखी गई। इस कॉलेज की स्थापना की सोच लॉर्ड विलियम बेंटिक ने की थी, जिन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी के माध्यम से इसे मंजूरी दी।

भारत में खुला पहला मेडिकल कॉलेज (फोटो सोर्स- medicalcollegekolkata.in)

कैसा था भारत में अंग्रेजों का नया मेडिकल एजुकेशन सिस्टम?
1835 में जब कॉलेज का पहला बैच शुरू किया तब उसमें सिर्फ 49 स्टूडेंट्स को एडमिशन दिया गया। पहला एमबीबीएस कोर्स सिर्फ तीन साल का था, आज की तरह 4.5 साल का नहीं था जिसमें एक साल की अनिवार्य इंटर्नशिप शामिल है। मेडिकल की पढ़ाई इंग्लिश मीडियम में ही ही शुरू हुई।

तीन साल का था एमबीबीएस कोर्स
फर्स्ट ईयर में, भारतीय स्टूडेट्स को एनाटॉमी, फिजियोलॉजी और फार्माकोलॉजी पढ़ाया गया। सेकेंड और थर्ड ईयर में मेडिसिन और सर्जरी के बारे में पढ़ाया गया। आंखों का इलाज और वैक्सीनेशन सिखाया गया। उन्हें प्रैक्टिस के लिए जनरल हॉस्पिटल और डिस्पेंसरी में भेजा जाता था।

(फोटो सोर्स- https://www.medicalcollegekolkata.in)

14 साल के बच्चों को भी दिया एडमिशन
वर्तमान में कम से कम 17 साल और नेशनल एजुकेशन कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET UG) क्लियर करने के बाद ही मेडिकल कोर्स में एडमिशन मिलता है। लेकिन 1835 में 14 से 20 साल के बच्चों को भी एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन दिया गया था।

भारत के पहले एमबीबीएस डॉक्टर कौन थे?
बंगाल मेडिकल कॉलेज का पहला बैच 1839 में पास हुआ था। मेडिकल कॉलेज के पहले प्रिंसिपल, डॉ. एम.जे. ब्रैमली ने कुछ स्टूडेंट्स को अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए इंग्लैंड भेजा। इंग्लैड जाने वाले भारतीयों में डॉ. एस.सी.जी. चकरबुट्टी थे, जिन्हें पहला भारतीय एमबीबीएस डॉक्टर माना जाता है। उन्हें मेडिकल साइंस के विकास में अहम योगदान के लिए भी जाना जाता है।

भारत की पहली महिला डॉक्टर कौन थीं?
जैसे-जैसे समय बीतता गया अंग्रेजों ने भारत के मेडिकल एजुकेशन सिस्टम में कई बदलाव किए। एनाटॉमी, फिजियोलॉजी और फार्माकोलॉजी के अलावा, मटेरिया मेडिका (होम्योपैथी), मिडवाइफरी, नेत्र विज्ञान और केमिस्ट्री को भी शामिल कर लिया गया, जिससे मेडिकल एजुकेशन का दायरा और बड़ा हो गया।

1880 के दशक में भारतीय महिलाओं को भी एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन दिया गया। 1886 में कादंबिनी गांगुली देश की पहली महिला डॉक्टरों में से एक थीं, वे’मेडिकल कॉलेज, कोलकाता’ से ग्रेजुएट हुईं
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