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                        कटुसत्य
       मेडिकल सुविधाओं की कमी से जूझ रहे देश एवं प्रदेश की इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है कि डॉक्टरों की कमी एवं स्वास्थ्य सेवाओं व स्तंभ डॉक्टर की कभी भी किसी स्वास्थ्य परियोजना मे राय नही ली जाती है एवं उस पर केवल निर्णय थोप दिये जाते है।
  आप कितने मेडिकल कॉलेज बना दे, कितनी बिल्डिंगे बना दे, कितने महानिदेशक, सचिव, व मंत्री बना दे पर बेसिक डॉक्टर को जब तक आप इज्जत नही दोगे उसकी प्रमुख भूमिका नही रखोगे तब तक स्वास्थ्य सेवाएं ऐसे ही लचर व्यवस्था मे बनी रहेगी। दुख एवं शर्म की बात है की पिछले दस वर्षो मे शायद ही ऐसा कोई दिन हो जिसमे सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की लचर व्यवस्था घोटालो एवं जिम्मेदारी की असफलता का जिक्र नही होता हो। लेकिन कभी भी इन नीति नियोक्ताओं की जवाबदेही व सजा निर्धारित नही हुई।
    अगर आज स्वास्थ्य व्यवस्था उत्तराखंड एवं भारत मे लचर है तो लचर व्यवस्था करने वालो की जवाबदेही तय क्यो नही की जा सकी।
   डॉक्टरों का अपनी मांगो की समर्थन मे हड़ताल पर जाना मै बहुत बड़ा अपराध मानता हु और इसका सबसे बड़ा दोष सरकार को देता हु।
कारण-
    क्या डॉक्टर अपनी मर्जी से हड़ताल पर जाते है, दवाओं की कीमत, नर्सिंगहोम की फीस जाचे सारा सिस्टम तो सरकार के हाथ मे है वे दवाओं की कीमत तय कर सरकारी सस्ते गले की दुकान की तरह हर जिले मे सस्ती दवाओं को दुकान खोल सकती है। सरकारी, निजी अस्पताल के डॉक्टरों से बात कर व देश, विदेश के रेट देख कर तय कर सकती है
    वह डॉक्टरों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग कर सकती है डॉक्टर हमेशा सरकार को सहयोग देने के लिए तैयार रहते है अस्पताल एवं अस्पताल के तंत्र मे केवल ट्रेंड डॉक्टर ही निरीक्षण कर सकते है एवं जवाबदेही तय कर सकते है किसी भी क्लीनिक या नर्सिंग होम की शिकायत जनता इस एक कमेटी से कर सकती है इससे किसी मरीज को कानून हाथ मे लेने की जरूरत नही पड़ेगी।
   आप नरसिंग होम को सभी पचड़ों से मुक्त कर काम क्यो नही करने देते। बीस तो आपने टैक्स लगा रखे है बीसियों जांच की टीमे गठित कर रखी है काम कैसे होगा।
  हमारा मानना है कि जनहित, डॉक्टरों को स्वस्थ वातावरण मे काम करने हेतु प्रेरित करने के लिए सबसे पहले सरकार को आगे आना पड़ेगा। हमारा सरकार से अनुरोध है कि समस्या तत्काल निपटाई जानी चाहिये न कि धरना प्रदर्शन के बाद।
  डॉक्टर का कार्य है अपने मरीज को सस्ता व टिकाऊ इलाज देना न कि उसका कार्य धरना प्रदर्शन या शक्ति दिखाना। उसे राजनीति मे न घसीटा जाये क्योकि इससे नुकसान गरीब मजदूर एवं कोई भी हो सकता है उसको उठाना पड़ सकता है।
  अतः सरकार तुरंत इस मसले को हल करे न कि डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने या धरना प्रदर्शन करने के बाद क्योकि  तब आपका मांगे मानना समझ से परे है।

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