मौत एक नर्सिंग होम की
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बड़े अरमान थे
अपना भी एक ,
भले ही छोटा सा हो,
लेकिन एक नर्सिंग होम
हो ।
जहां हम भी अपनी
मर्ज़ी से ,
सस्ते दामों में
बड़े से बड़े ऑपरेशन
कर सकें ।
मरीजों को सस्ता इलाज़ मुहैया करा सकें ।
सेवा कर सकें ।
जुगाड़ तुगाड करके एक छोटे से प्लाट पर
एक बिल्डिंग खड़ी
कर दी ।
सब बड़ों के आशीर्वाद से
अपना एक अस्पताल शुरू कर लिया ।
कुछ साल ठीक ठाक निकले फिर अचानक
Consumer का एक जिन्न नर्सिंग होम के
इर्द गिर्द
मंडराने लगा , मरीजों को कुछ नही कहता
पर डॉक्टरों की
आन बान शान के
पीछे लग गया था ।
वकील , जज , कोर्ट , सब एक ही बात
करने लगे
कि काम कैसा भी करो ,
लिखा पढ़ी पूरी होना चाहिये ।
तुम कह रहे हो तुमने मरीज और रिश्तेदारों को
आपरेशन के पहले
सब समझा दिया था ,
पर कागज में कहां
लिखा है ।
सब कुछ
black and white में चाहिये डाक साब ।
आपने भले ही , गरीबी के लिहाज से
दस बीस हज़ार ही
लिये हों इलाज़ के ,
देने तो लाखों में पड़ेंगें ।
वही जज , वकील अस्पताल में
घुसते से ही , कम से
कम में
या फ्री में इलाज करवाना चाहते हैं ।
इस consumer की कुछ आदत हुई
तो दूसरे बहुत से जिन्न
एकदम पीछे पड़ गए , ग़रीब नर्सिंग होम के ।
Pollution board , fire safety , mpeb , पानी ।
अब एक प्लाट साइज का नया लफड़ा,
रोड की चौड़ाई देख कर बनाओ अस्पताल ।
जगह व्यावसायिक
होना चाहिये ,
residential area में नही बना सकते ।
महंगी जगह खरीदो , बडा प्लाट खरीदो ,
तबियत से कर्ज़ लो
बैंक से ।
और फिर जब कुछ कमाने की बात आये तो
आप नहीं , इलाज़ की दर सरकार तय करेगी ।
सरकार को भी सिर्फ डॉक्टर दिखते हैं ,
ना वकील दिखें , ना CA दिखें , ना बिल्डर दिखें ।
सब की फीस मनमानी ।
सिर्फ डॉक्टर के पैसे ,
लूट के पैसे , खून चूसने के पैसे हैं ।
इन सब के ऊपर छोटे अस्पतालों पर एक और गाज गिरायी गयी ,
NABH की ।
गाज भी भारी भरकम है ,
70 – 80 लाख से एक करोड़ की
और फिर अस्पताल चलाने के खर्च में भी
हर माह की बढ़ोतरी ।
नही कराओ तो
बीमा वाले ,
सरकारी अनुदान वाले
आयुष्मान योजना वाले ,
कोई भी आपको घाँस
नही डालेंगें ।
ये सब जैसे कम था ,
अब सुना है
सरकार एक नये अनुच्छेद की
तलवार ले कर आयी है ,
जिसमें लाख से लेकर
करोड़ों का fine तो है ही
अब जेल की चक्की भी
पीसना पड़ेगी ।
कोई सुनवाई नही होगी ।
दो तीन सरकारी लोग ,
जिनका दूर दूर तक चिकित्सा जगत की
समस्याओं से
कोई वास्ता नही है ।
जिन्हें इसका भी भान भी नही होगा कि
ये जो हुआ है ये एक known complication है ,
जो पूरे विश्व में ,
अच्छे से अच्छे अस्पताल और डॉक्टरों के साथ
भी हो सकती है ।
बस मरीज की मृत्यु का
संज्ञान ले कर
आपको दोषी
ठहरा कर ,
दंड स्वरूप जेल दर्शन करा सकते हैं ।
ये सब देख सुन कर नर्सिंग होम बोला ,
हे नारद , इतनी बेमतलब परेशानियां उठा कर ,
एक बेकसूर डॉक्टर को जेल भिजवाने में ,
मैं सहायक नही बनना चाहता ।
इससे तो अच्छा है भगवन मुझे मृत्यु दे दो ।
मैं अब इस भवसागर में
नरक के समान
जिंदगी नही
जीना चाहता ।
मार दो मुझे ,
खत्म कर दो ।
जाने दो मरीजों को बड़े अस्पतालों में ,
मुझे नही करना कम खर्च में इलाज़ ,
मत दो दुहाई मानवता की मेरे सामने ।
मृत्य दे दो प्रभु , मृत्यु ।
जेल में सड़ने से तो
अच्छा है कि
नर्सिंग होम ही बन्द
कर दो ।
ऐसा बड़बड़ा ही
रहा था कि
अचानक पत्नी ने जगा दिया ,
बोली क्या अभी तक
सो रहे हो ,
अस्पताल से लगातार फोन आ रहा है ,
जाओ जल्दी कोई emargency case आया है ।
बुरे स्वप्न से डरा हुआ ,
कर्तव्य निष्ठ , चिकित्सक , अपने आप को
पिटने के लिये तैयार कर ,
बिना खाये पिये
चल पड़ा देखने मरीज को।










