शायद कोई बड़े दृष्टिकोण से इस क्षेत्र में आएगा तब निश्चय ही भारत जैसे बड़े देश से फीस कम होने के कारण बच्चों को बाहर नहीं जाना पड़ेगा ।अभी सरकार की भी बड़ी योजनाएं हैं मेडिकल कॉलेज को खोलने की और प्राइवेट मेडिकल कॉलेज यदि इस उद्देश्य से खोले जाएं की उन में फीस कम होगी ।सही बात यह है कि मेडिकल फील्ड बहुत बड़ी वेरिएशंस रखती है ।प्राइवेट मेडिकल कॉलेज को बनाने से लेकर उससे संबंधित मान्यताएं लेने के लिए एमसीआई और अब एनएमसी ऐसे रेगुलेटरी बोर्ड है ।जिनमें बला का भ्रष्टाचार है ।गुजरात के डॉक्टर पटेल जो कभी एमसीआई के प्रेसिडेंट रहे थे उनके घर से हजारों करोड़ रूपया बरामद हुआ था। सारा मामला दब गया। सरकार बदलने के बाद भी उस पर कुछ भी नहीं हुआ ।सभी तरीके की सुविधाओं की जरूरत है। सरकारी सुविधाएं भी अच्छे स्तर की होती जाएं और प्राइवेट सुविधाएं भी महंगी नहीं हो तभी जाकर चिकित्सा क्षेत्र अच्छा हो पाएगा। कॉरपोरेट हॉस्पिटल दवा कंपनी इतनी महंगी होती जा रही हैं और बेतहाशा प्रॉफिट कमाना चाहते हैं। कोविड-19के बाद आईसीयू में भर्ती होना बहुत बड़े संकट को दावत देना हो गया। अभी एक मित्र लगभग 25 दिन अस्पताल में भर्ती रहकर खत्म हुए जिस अस्पताल में स्वयं उन्होंने काम किया वहां लगभग 50 लाख रुपया खर्च हुआ ।चिकित्सा क्षेत्र पर बहुत अलग तरीके से सोचने की आवश्यकता है ।₹500000 के सरकारी आयुष्मान योजना अभी बहुत धरातल पर काम नहीं कर पा रही है ।कोविड-19 के समय में आगरा में किसी एक मरीज का भी इलाज उस योजना के अंतर्गत नहीं हो सका। शिक्षा और स्वास्थ्य ही सबसे जरूरी क्षेत्र हैं। इनको बेतहाशा कमाई का दृष्टिकोण रखने वाले कॉरपोरेट्स के हाथों में जाने से रोकना सरकार का कर्तव्य है। dr muneeshwar
SEARCH THIS SITE
Recent Posts
categores
alexaVerifyID”
Goodreads
Join 2,017 other subscribers
Blogroll
contact information
91 135 2621343,9837425545
consulting hours-10 AM to 8 PM