हम में से बहुतों का खून ये समाचार पढ़ के खौल रहा होगा। पर मेरे प्यारे साथियो,थोड़ा धीरज रखो।एक बार क्लिनिक एस्टेब्लिशमेंट एक्ट ढंग से आ जाये,फिर ऐसी खबरों की हम सभी को आदत पड़ जाएगी।मैक्स जैसे भारी भरकम अस्पताल का जब ये लोग ऐसा हश्र कर सकते हैं,तो सोचो छोटे मोटे अस्पतालों और नर्सिंग होम्स का क्या हाल करेंगे।अब भी वक़्त है कोई दूसरा काम धंधा देख लो,फिर न कहना सरकार ने टाइम नही दिया।मैक्स जैसे अस्पताल तो ये झटका झेल लेंगे,कुछ ले देकर प्रतिबंध हटवा भी लेंगे पर छोटे अस्पताल ऐसी हिटलरशाही सहन कर पाएँगे क्या ?और फिर मीडिया में हुई इतनी बदनामी का क्या?मैक्स तो इस बदनामी को भी झेल लेगा ।अलग से डिपार्टमेंट और बजट होता है उनके पास ऐसे कामों के लिए पर एक छोटा अस्पताल जिसके पास न तो संसाधन होते हैं ना मीडिया मैनेजमेंट नाम का कोई फण्ड,वो क्या करेगा?वो तो ऐसी स्थिति में निश्चित रूप से हमेशा के लिए बंद होगा।
एक 22 सप्ताह के भ्रूण को नही बचा पाए तो एक प्राइवेट अस्पताल को ये सजा मिली।गोरखपुर में सैकड़ों बच्चे सरकारी अकर्मण्यता, लालफीताशाही और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए उसका कोई हिसाब किताब नहीं।सिर्फ इसलिए कि वो एक सरकारी अस्पताल था और ये एक प्राइवेट अस्पताल है।सरकारी अस्पतालों में इलाज़ लेने वालों की जान का कोई मोल नही क्या नेताजी ?
दरअसल प्राइवेट अस्पताल का लाइसेंस रद्द करना मंत्री जी के लिए एक तीर से दो शिकार या फिर कहें तीन शिकार करने जैसा है।मंत्री जी की पब्लिक खुश की…..देखो, सरकार कितनी संवेदनशील है! दोबारा लाइसेंस जारी करने की जो फीस मैक्स अस्पताल से वसूली जाएगी उसका तो अंदाज़ा भी हम जैसे अल्पबुद्धि नही लगा सकते।और तीसरे, इसके बाद प्राइवेट अस्पतालों को डरा धमका के हफ्तावसूली का जो दौर शुरू होगा सो अलग।
तो कुल मिला के ये मैक्स एपिसोड एक ट्रेलर है उस फ़िल्म का जो क्लिनिक एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के लागू होते ही रिलीज होगी। जो सरकारें 70सालों में नीम हकीमों पे अंकुश नही लगा पाई ,अपने सरकारी अस्पताओं की हालत नही सुधार पाई वो क्लिनिक एस्टेब्लिशमेंट एक्ट इसलिए ला रही है ताकि जनता का भला हो सके! हमे उल्लू समझा क्या नेता जी ?
-डॉ राज शेखर यादव
M.D.(Med)