जैसा कि विदित है कि उत्तराखंड सरकार प्रदेश में कलीनीकल एसटेबलिशमेन्ट एक्ट (CEA) को लागू इस आशय से करना चाहती है कि प्रदेश की स्वास्थय सेवाओं में सुधार होगा किन्तु यह एक विडम्बना ही है कि सरकार अपने ही प्रदेश की आर्थिक एवं भोगोलिक स्थिति तथा स्वास्थ्य सम्बन्धी सरकारी आधारभूत सुविधाओं से अनभिज्ञ है। वह शायद यह भी स्वीकार करने में असफल है कि प्रदेश के आम जनमानस को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने में लगभग 80% योगदान छोटे एवं मझोले निजी चिकित्सा संस्थानों का है। ये संस्थान आम जनता को उचित दामों में उत्तम सुविधा उपलब्ध कराते हैं और जनता का विश्वास भी अपने निकट के फैमिली डाक्टर और उसके क्लिनिक, दवाखानो और अस्पतालों पर ही अधिक होता है।
ऐसे में भी सरकार इन्हीं छोटे अस्पतालों पर कठिन और कठोर नियमों वाला CEA कानून लागू करना चाहती है जिसके कारण न केवल इलाज महँगा हो जाएगा बल्कि ऎसे संस्थान बन्दी की कगार पर आ जायेगें। इन छोटे चिकित्सा संस्थानों से जुड़े चिकित्साकर्मी (नर्स, कम्पाउंडर, वार्ड बॉय, आया, सफाईकर्मी, मेडिकल स्टोर मालिक, उनके कर्मचारी, लैब व एक्स रे टेक्निशियन इत्यादि) तथा उनके परिवार भी घोर मुसीबत में पड़ जायेगें। ये छोटे अस्पताल हजारों लाखों को रोजगार देते हैं, उनके बन्द होने पर ये सभी बेरोजगार हो जायेगें।
इस विषय में I. M. A के प्रदेश अध्यक्ष एवं सचिव एवं अन्य पदाधिकारियों ने इस कानून की अव्यवहारिकता एवं विषमता के बारे में सरकार एवं प्रशासन से कई बार वार्ता की तथा सरकार एवं प्रशासन के अडियल रवैये के खिलाफ आन्दोलन की तैयारी भी की। परन्तु सरकार ने कोरे आश्वासन देकर हर बार आईएमए को आन्दोलन स्थगित करने के लिए कहा। आईएमए ने भी जनता के स्वास्थ्य के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभाते हुए पूर्व में आन्दोलन स्थगित भी कर दिए।
आश्वासन के बावजूद विभिन्न जिलों के निजी चिकित्सालयों को मुख्य चिकित्सा अधिकारीयों द्वारा CEA के अन्तर्गत पंजीकृत होने के नोटिस भेजे जाते रहे। सरकार ने अपनी तरफ से कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया, न ही कैबिनेट मिटिंग व विधानसभा में इस पर चर्चा की। हमारी उचित मांगो को पूर्णतः नजरअंदाज कर दिया गया। जब हरियाणा जैसा समर्थ एवं स्म्रध राज्य छोटे अस्पतालों को इस कानून से अलग रख सकता है तो उत्तराखंड सरकार क्यों नहीं।
ऐसे में हम सभी आईएमए सदस्य स्वयं ही अपने संस्थान अनिश्चित कालीन बन्द कर रहे हैं। CEA के कठोर नियमों के पालन में हम सभी असमर्थ हैं। इसलिए सीलिंग जैसी कार्रवाई से बचने के लिए हमारे पास कोई उपाय या मार्ग नहीं बचा है।
आईएमए प्रदेश मुख्यालय के निर्देशो के अनुसार 15 फरवरी 2019 से सभी निजी चिकित्सकों के सन्स्थान अनिश्चित कालीन स्वतः बन्द कर दिए जायेगें। यह कोई हड़ताल या strike नहीं है, यह हमारी अपने संस्थानों की स्वतः बन्दी है(self closure).
जनता को होने वाली असुविधा के लिए खेद है !!!🙏🙏🙏🙏