सरकार ने, ई सिगरेट पर बैन लगा दिया है, यह कहते हुए कि इससे युवाओं को हेल्थ हज़ार्ड से बचाया जा सकेगा।
जो लोग ई सिगरेट के बारे में कम जानकारी रखते हैं, उनको ई सिगरेट के बारे में बताना आवश्यक है कि–
ई सिगरेट ,सिगरेट छुड़ाने की डिवाइस होती है, जो एक पेन की तरह होती है,,
जिसमे पीछे एक बैटरी,आगे आल आउट की तरह भरा हुआ निकोटीन लिक्विड होता है और साथ मे सेंसर।
जैसे ही बटन दबाया जाता है तो बैटरी से सेंसर एक्टिवेट होता है
और निकोटीन की भाप निकलती है, जो व्यक्ति सांस से अंदर ले जाता है।
निकोटीन कारसिनोजेनिक यानी कैंसर कारक नही होता है,इसलिए ज्यादा नुकसान नही होता।
इस डिवाइस में तम्बाकू नही होती है, निकोटीन धीरे धीरे शरीर मे जाती है,और थोड़े दिनों में रियल सिगरेट की आदत छूट जाती है।
सिगरेट व गुटखा छुड़ाने के लिए इसी तरह की च्युइंग गम भी आती है।
लेकिन सिगरेट छुड़ाने के चक्कर मे युवा, ई सिगरेट नेट से मंगवाने लगे और धीरे धीरे यह फैशन हो गया और फिर इसी कांसेप्ट पर हुक्का बार भी खुलने लगे।
डॉ हर्षवर्धन का कहना कि हेल्थ हज़ार्ड के कारण
ई सिगरेट बैन कर रहे है, सही नही है।
क्योकि ई सिगरेट के हेल्थ हज़ार्ड सिगरेट की तुलना में बहुत कम हैं,
और यदि हेल्थ के कारणों से बैन करना है तो सिगरेट व गुटखा क्यो नही? जो लाख गुना हानिकारक व करोड़ो मौतों के जिम्मेदार हैं? कैंसर व अन्य असाध्य रोगों का कारण है?
दरअसल ई सिगरेट बैन करने के पीछे आर्थिक कारण है क्योकि भारत मे ये बनती नही और बाहर से ऑनलाइन खरीदारी जमकर होती है और रेवेनुए लॉस होता है,, जबकि असली सिगरेट व गुटखा सरकार को 48% से भी ज्यादा एक्साइज ड्यूटी के रूप में राजस्व देता है।
इसका सीधा अर्थ है कि जहां फायदा वहां जनता की जान की परवाह ना करके कमाई की जाए
और जो, ई सिगरेट ज्यादा हानिकारक ना हो, उसे बैन करके ऊंट के मुह में जीरा के बराबर राजस्व बचाया जाए।
चलिए हम मानते हैं कि सांकृतिक प्रदूषण इस बैन से कम होगा।
लेकिन एक, स्वास्थ्य संबंधी गलत सूचना मत दीजिये,
दूसरा, ये कतई मत कहिये कि इससे असली सिगरेट का प्रयोग कम होगा,
बल्कि असली सिगरेट पीने की दर में उछाल आएगा।
—–डॉ आर के वर्मा (देव)—