Guide lines for clinics and Hospitals

*कल की मीटिंग के बाद पढ़ा तो बहुत होगा लेकिन क्या करना है और कैसे करना है। उसके बारे में जानने के लिए कृपया यह पोस्ट पूरा पढ़े*

1.अस्पताल के ओ पी डी के पास बाहर की ओर एक स्क्रीनिंग कारनर बनाना है, जहां पर निम्नलिखित चीजें होनी चाहिए-

एक रजिस्टर

सैनिटाइजर

गलबज़

N95 मास्क

इंफ्रारेड टेंपरेचर स्कैनर

2. एक कर्मचारी कैप, n95 मास्क और ग्लव्स पहनकर वहां मौजूद होना चाहिए। जैसे ही मरीज और उसके अटेंडेंट आते हैं सबसे पहले उनका हाथ सैनिटाइज करना चाहिए, फिर रजिस्टर में उनका नाम नोट करना चाहिए। उसके बाद यदि वह गमछा या मास्क नहीं लगाए हैं तो उनको मास्क देना चाहिए। उसके बाद उनका टेंपरेचर इंफ्रारेड स्कैनर से नापना चाहिए। इसके लिए कर्मचारी को रोगी के पीछे खड़े होकर मत्थे के साइड में टेंपरेचर नापना है और रजिस्टर में उनका नाम पता मोबाइल नंबर आधार कार्ड नंबर एवं टेंपरेचर नोट करना चाहिए।

3. इसके उपरांत रोगी एवं उनके परिजन को *फ्लू कार्नर* की ओर भेज देना चाहिए।

फ्लू कॉर्नर भी बाहरी ओर स्क्रीनिंग कॉर्नर के बगल में होना चाहिए। यदि ऐसा ना हो सके तो ओपीडी ब्लॉक में किसी एक कोने में फ्लू कॉर्नर होना चाहिए

जिसमें एक कर्मचारी n95 मस्क ग्लव्स कैप के साथ उपस्थित होना चाहिए। रोगी एवं उनके परिजन को पहुंचने के उपरांत सबसे पहले ओपीडी रजिस्टर में रोगी का डिटेल भरना चाहिए और उसके साथ ही रजिस्ट्रेशन फॉर्म को भरवाना चाहिए। यदि उसमें कोई भी एक लक्षण यस में आता है तो उस फार्म पर लाल टिक लगा देना है, अन्यथा उस पर हरा टिक लगाना है।

*यदि लाल टिक लगाया गया है तो चिकित्सालय के पास दो रास्ते हैं-

#पहला तो यह कि उस रोगी को जिला चिकित्सालय बरेली रिफर कर दिया जाए।

#यदि चिकित्सालय में कोरोना संक्रमित रोगियों के उपचार की व्यवस्था है तो दूसरा रास्ता है कि रोगी को कोरोनावायरस वार्ड भेज दिया जाए।

*यदि रोगी के पर्ची पर हरा टिक लगाया गया है तो उसको चिकित्साधिकारी की ओपीडी में भेज दिया जाए और उसको सामान्य रोगी की तरह जो भी आवश्यक हो वह किया जाए।

* कोरोनावायरस संबंधित वार्ड बनाने के लिए एक डेडीकेटेड एरिया होना चाहिए जिसमें सभी कर्मचारी एवं चिकित्सक पीपी किट पहनकर ही रोगी के संपर्क में आ सकते हैं। पी पी ई कीट पहनने के लिए DONNING रूम एवं DOFFING रूम अलग अलग होने चाहिए। DONNING रूम में पी पी ई किट पहनना होता है और DOFFING रूम में पीपी किट को उतारना होता है। *पी पी ई किट का प्रापर BMW Disposal होना चाहिए। ओवरऑल, कैप, मास्क इनर ग्लव्स और शू कवर पीले ड़स्टबीन में (sodium hypochlorite se wash karke )और गॉगल्स और आउटर ग्लव्स लाल डस्टबिन में डालना चाहिए।*

4. चिकित्सालय की सैनिटाइजेशन व्यवस्था भी चुस्त-दुरुस्त होनी चाहिए। प्रत्येक 3 से 6 घंटे पर फर्श एवं 7 फीट तक की दीवारों को 2% ब्लीचिंग पाउडर सलूशन या 1% हाइपोक्लोराइट सलूशन से पोंछा लगना चाहिए। इसके इसके लिए 1 लीटर में 60 ग्राम ब्लीचिंग पाउडर डालने से दो परसेंट सलूशन बन जाएगा। कुर्सी, मेज, दरवाजे की हैंडल, सीडी की रेलिंग, मरीजों का बेड ड्रिप स्टैंड, खिड़की आदि को भी तीन-तीन घंटे पर 1 % हाइपोक्लोराइट सलूशन से सैनिटाइज होना चाहिए।

5. पोछा लगाते समय स्वीपर को फिगर ऑफ 8 बताते हुए पोछा लगाना चाहिए और 3 बाल्टी सिस्टम का इस्तेमाल करना चाहिए। पहली बाल्टी में साबुन पानी का घोल, दूसरी बाल्टी में साफ पानी व तीसरी बाल्टी में ब्लीचिंग पाउडर या हाइपोक्लोराइट सलूशन होना चाहिए।

6. चिकित्सालय में बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल का भी बहुत परफेक्ट इंतजाम होना चाहिए।

बायो मेडिकल वेस्ट का निमोनिक *लाल लचीला, पीला पस प्लास्टर प्लेसेंटा, नीला नुकीला* सारे स्टाफ एवं स्वीपर को रटा हुआ होना चाहिए जिससे उनको सही ढंग से से सेगरीगेशन करना आता हो।

तीन प्रकार की डस्टबीन, लाल पीली नीली, सभी ओपीडी में, इमरजेंसी में, ओटी में तथा वार्ड में होनी चाहिए। जिसमें पीले और लाल बाल्टी में दो पन्नी और नीली में एक भी पन्नी नहीं होनी चाहिए। सफेद पंक्चर प्रूफ कंटेनर भी मौजूद होना चाहिए जिसमें नीडल, स्कैल्प ब्लड आदि शार्प चीजें डाली जानी चाहिए। इसको भर जाने के बाद बायो मेडिकल वेस्ट सर्विस प्रोवाइडर को दे देना चाहिए। जहां बायोमेडिकल वेस्ट कलर्ड डस्टबिन रखे हो वहां पोस्टर भी लगा होना चाहिए। स्टाफ एवं स्वीपर की सुविधा के लिए जगह-जगह पोस्टर या प्रिंटआउट लगा होना चाहिए जिससे उनको निमोनिक याद करने में आसानी हो।

*बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल के संबंध में चिकित्सालय में लाग बुक अवश्य होनी चाहिए जो अप टू डेट होनी चाहिए।*

स्वीपर के लिए सेफ्टी किट हेलमेट, चश्मा, हैंड ग्लव्स, गम बूट एवन एप्रन होना चाहिए।

7. एक स्पिल मैनेजमेंट किट भी होना चाहिए जिसमें पीपीई किट, स्पेटुला, स्पुटम कॉलेक्टिंग बॉटल, हाइपोक्लोराइट सलूशन, अखबार के टुकड़े, पीला बैग, कार्डबोर्ड तथा सिरिंज होने चाहिए।

8. सभी स्टाफ को एवं चिकित्सालय में कार्यरत सभी स्टाफ को हाथ धोने का सही तरीका मालूम होना चाहिए। जिसकी निमोनिक है SUMANK

9. अस्पताल में चिकित्सालय में इनफेक्शन प्रीवेंशन प्रोटोकोल फॉर कोविड-19 बाइ केजीएमयू (INFECTION PREVENTION PROTOCOL FOR COVID 19 BY KGMU)की एक कॉपी मौजूद होनी चाहिए।

10. आज की वर्तमान स्थिति में सभी चिकित्सकों को जिला प्रशासन का यह निर्देश है कि वह किसी भी प्रकार की सामान्य ओपीडी ना करें और केवल इमरजेंसी रोगियों को ही देखें और इमरजेंसी सर्जरी ही करें।

11. किसी भी प्रकार की सर्जरी करते समय पूरी टीम को कोरोना संबंधित सावधानी बरतना आवश्यक है तथा इसके लिए सभी सदस्यों को सर्जन असिस्टेंट अनेथेटिस्ट एवं ओटी वार्ड बॉय आदि को पीपी किट में होना आवश्यक है

12. स्त्री रोग विशेषज्ञों को विशेष रूप से निर्देश है कि इस समय सभी डिलीवरी को नॉर्मल डिलीवरी कराने का पूरा प्रयास करें ऐवम आवश्यक होने पर पूरे प्रिकॉशन के साथ LSCS करें !!

13. अस्थि रोग विशेषज्ञ को निर्देश है की सभी प्रकार के फ्रैक्चर का इलाज प्लास्टर द्वारा करने का भरसक प्रयास करें ऐवम अति आवश्यक होने पर प्रोस्थेसिस लगाएँ

14. चिकित्सालय में Triage होना चाहिए अर्थात प्रॉपर Sineage होना चाहिए जिससे यह पता लग सके कि रोगी को किधर से किधर जाना है। जाने और आने का रास्ता अलग अलग होना चाहिए

डॉक्टर राजीव गोयल

सचिव आईएमए बरेली

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