गांव में डॉक्टर को पीटा गया, डॉक्टर गांव छोड़ कर भागा, कस्बे में पीटा गया, कस्बा छोड़कर भाग, रात में कॉल पर बदतमीज़ी की गई, कॉल पर शाम के बाद जाना छोड़ दिया, शहर में बदतमीज़ी शुरू हुई, बोर्ड लगा दिया इमरजेंसी का इलाज नहीं होता है। पहलवान / सुरक्षा कर्मी रखा गया। खर्च बढ़ा। खर्च तो अंततः consumer ही को देना होता है। स्वास्थ्य सेवा महंगी होती गई। लोग रोते है इलाज महंगा क्यों है?
शहर में कुछ डॉक्टर बैठ रहे हैं, परंतु आगामी समय में डॉक्टर नहीं बैठेंगे, वे कॉर्पोरेट के स्टाफ रहेंगे। अपोलो / मेदांता का ब्रांच खुलेगा। गरीब जनता कष्ट सहेगी, मरेगी, ईलाज नहीं करवा पाएगी।
अमेरिका में यही हुआ था, शरू में कोर्ट ने करोड़ों का फाइन लगाना शुरू किया शुरू के डॉक्टर मरे, जमीन जायदाद बिका, जेल गए। पुनः डॉक्टर का insurance आया, आज आम आदमी की स्थिती है की बिना इन्शुरन्स के जिंदगी दूभर है, insurance आय का 30-40 % ले लेता है। भारत भी उसी रास्ते पर जा रहा है।
आगामी पीढ़ी को आज की मार पीट, बदतमीज़ी का मूल्य चुकाना होगा